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एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य नौ अज्ञात पुरुषो का पार्ट 1 Wrote by Author Pawan Singh

अध्याय – 1 हवा में उड़ती लाश

10 मई 1972,  सुबह का समय ठंडी हवाएं चल रही है। चारो तरफ चिड़ियो की चहचहाट की आवाजें गूंज रही है। सूरज की हल्की किरणे धरती को स्पर्श कर रही है। पेड़ो पर बंसत ऋतु का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। दिल्ली के हौज खास इलाके में बंगला नंबर 33 के बाहर लोगो की भीड़ उमड़ी हुई है। बंगले के अंदर चारो तरफ पुलिस फैली हुई है। फॉरेंसिक टीम के लोग एक कमरे में चित पड़ी लाश का निरीक्षण कर रहे है। कुछ फोटोग्राफर लाश की फ़ोटो लेने में व्यस्त है। तभी बंगले के बाहर लोगो की भीड़ को चीरते हुए एक पुलिस जीप आ खड़ी होती है। उसमें से इंस्पेक्टर सुरेश सिसोदिया उतरते है और साथ मे सुजान और करुण नायर भी जीप से उतरते है और बंगले की तरफ एक अजीब नजरो से देखता है।
बंगला काफी बड़ा है! सुजान ने चोंकते हुए कहा।
जी हां! क्योंकि यह बंगला हौज खास के प्रसिद्ध व्यापारी मदनलाल मिश्रा क है जिनका आज सुबह ही खून हो गया है।
तो इस साधारण हत्या के लिए अपने हमे क्यो बुलाया है इंस्पेक्टर? सुजान ने पूछा।
साधारण होती तो मै कभी आप लोगो को तकलीफ नही देता सुजान बाबू। आप खुद अंदर चलकर देख लीजिए। इतना कहते ही इंस्पेक्टर सुरेश सिसौदिया अंदर प्रवेश कर जाते है और उनके पीछे पीछे करुण और सुजान भी जाते है। तभी वह उस कमरे में प्रवेश करते है जंहा लाश थी।
करुण की नजर चारो तरफ कमरे को निहार रही है। लाश सामने पीठ के बल पड़ी है। मानो किसी ने छाती पर बार किया हो। आंखे समान मात्रा में खुली है। चारो तरफ खून ही खून है। करुण जाकर खून को अपनी उंगली में लेता है।
काफी पतला खून है! करुण ने धीरे स्वर में कहा।
इनकी मौत कैसे हुई? करुण ने फोरेंसिक टीम से पूछा।
जी इनकी मौत छाती पर किसी नुकली चीज़ को घुसा देने के कारण हुईक़ातिल उसे पूरी तरह से नही घुसा पाया। लेकिन खून काफी बह जाने के कारण इनकी तत्काल ही मौत हो गई। फोरेंसिक टीम ने जानकारी देते हुए कहा।
मौत का समय पता चला? करुण ने फिर पूछा।
हाँ! लगभग दो घँटे पहले ही इनकी मौत हुई है। एक फोरेंसिक टीम के सदस्य ने जानकारी दी।
मतलब इसका यह है कि कत्ल तड़के सुबह हुई है। सुजान ने सोचते हुए कहा।
खैर किसी पर पुलिस को शक है! करुण ने सिसोदिया से पूछा।
जिस समय यह खून हुआ उस समय घर मे सिर्फ चार सदस्य ही थे। पहला मदनलाल का बेटा सोमनाथ मिश्रा जो कि एक बर्फ बनाने की फैक्ट्री में काम करता है। और काफी सज्जन व्यक्ति प्रतीत होता है। लेकिन कुछ दिन पहले ही मदनलाल उसे वसीयत से निकालने की बात कही थी।
एक व्यक्ति जिसके पिता इतने बड़े व्यपारी हो उसका बेटा बर्फ बनाने की फैक्ट्री में क्यों काम करेगा? करुण ने कमरे को निहारते हुए बोला।
जी क्योंकि मदनलाल काफी कंजूस और लोभी किस्म का इंसान है। वह काफी गुस्सेल है इसलिए उसके बेटे ने अपने पिता की कंपनी को छोड़ कर दूसरी फैक्ट्री में जाकर काम करने लगा था।
मतलब पिता और बेटे में कुछ खास अच्छे सम्बंध नही थे। खैर अन्य सदस्य? करुण ने इंस्पेक्टर सुरेश को अपनी बात पूरी करने का इशारे किया।
दूसरी है सोमनाथ की पत्नी और मदनलाल की बहू रितु मिश्रा जो कि काफी गुस्सेल है और इन्हें भी घर से निकाल देने की बात मदनलाल ने कही थी।
तीसरी है मदनलाल का पोता शंकरलाल मिश्रा जो कि धूर्त ओर जुआरी भी है कुछ दिन पहले घर में ही चोरी करते हुए मदनलाल ने पकड़ा था और बहुत सुनाई थी।
चौथी और मदनलाल की सबसे प्यारी है सौम्या मिश्रा जो कि मदनलाल की पोती है। लेकिन सौम्या के प्रेमी को ना पसंद करने के कारण सौम्या और उसके दादा के बीच दूरियां चल रही है।
अजीब बात है मदनलाल ने क्या सबसे ही दुश्मनी ले रखी है। और ये तो बड़ा अजीब है चारो के पास ही खून करने के कारण है! सुजान ने सोचते हुए कहा।
मदनलाल की छाती पर घोंपा हुआ हथियार कँहा है? करुण ने पूछा।
यही तो रहस्य है करुण बाबू की कोई हथियार पुलिस को नही मिला है। सुरेश ने घबराते हुए कहा।
मतलब? सुजान ने चोंकते हुए पूछा।
मतलब यह चटर्जी बाबू हथियार मानो शरीर मे घुसते ही गायब हो गया है। जिसके कारण हम किसी एक नतीजे पर नही पहुंच पा रहे है। इंस्पेक्टर सिसोदिया ने कहा।
मै घरवालों से बात करना चाहता हूँ! करुण ने बड़े ही शांत भाव से कहा।
जी जरूर! इंस्पेक्टर सिसोदिया ने गोखले को आवाज लगाई।
गोखले गोखले!
जी साहब! गोखले एकदम सावधान अवस्था मे आकर खड़ा हो जाता है।
जाओ जाकर घरवालों को लेकर आओ।
गोखले तुरन्त ही सभी घरवालों को ले आता है। तब तक फोरेंसिक टीम जांच के लिए लाश को हॉस्पिटल ले जाते है।
करुण सभी घरवालों से हाँथ मिलाता है और एक प्यारी मुस्कान के साथ सबसे पूछता है कि हत्या के समय यानी दो घँटे पहले कँहा थे?
 सो रहे थे! सभी लोग जबाब देते है
देखिए इंस्पेक्टर साहब आप कब तक मेरे घरवालों को ऐसे ही पकड़े रखएँगे! ये खून किसी बाहरी इंसान का है। सोमनाथ चिल्लाकर बोला।
जब तक हमे असली क़ातिल नही मिलता मिस्टर सोमनाथ मिश्रा! करुण ने एक दम से पीछे मुड़कर कहा।
तो तुम्हे कुछ पता चला कि खून किस हथियार से हुआ है? सिसोदिया ने करुण से धीरे स्वर में पूछा।
जी हाँ! एक बर्फ के नुकीले टुकड़े से जो मदनलाल की छाती में घुसा दिया गया और वो बर्फ का टुकड़ा बाद में धीरे धीरे पिघल गया और हथियार का सबूत मिट गया। करुण ने उस जगह को निहारते हुए कहा जंहा लाश गिरी हुई थी।
लेकिन यह तुम कैसे कह सकते हो करुण? सुजान ने चोंकते हुए कहा।
खून के अधिक मात्रा में निकलने से और खून के पतले होने से। दरअसल खून में बर्फ का पानी मिला हुआ था जिसके कारण खून गर्म होने की बजाय ठंडा है। करुण ने तुरन्त सोमनाथ की तरफ देखते हुए बोला।
इसका मतलब खूनी वह है जो बर्फ के काम को जनता हो। सुजान ने एकदम से कहा।
सोमनाथ! इंस्पेक्टर ने कहा।
सोमनाथ अपना नाम सुनते ही चोंक जाता है।
केसी बात कर रहे है आप लोग मै भला अपने पिता का खून क्यो करूँगा? सोमनाथ घबरा कर बोलता है।
वसीयत से निकाले जाने के डर से! सुजान ने तपाक से कहा।
देखिए विश्वास कीजिये मैने खून नही किया है! सोमनाथ गघबराते हुए बोला।
ये सब अब तुम न्यायालय में जाकर कहना! इंस्पेक्टर सिसोदिया सोमनाथ की हाँथो में हथकड़ी डालते हुए कहते है।
रुक जाइये इंसपेक्टर वो खूनी नही है! करुण ने कहा
सभी लोग अचानक से चोंक जाते है।
तो कौन है खूनी? इंस्पेक्टर सिसोदिया ने अजीब नजरो से देखते हुए कहा।
मदनलाल की पोती! करुण ने कहा।
क्या! सभी लोग अचानक ही चोंक जाते है।
जी हाँ! इंस्पेक्टर दरअसल सौम्या अपने प्रेमी से शादी करना चाहती थी और जब तक मदनलाल जिंदा है तब तक तो शादी होने से रही और मदनलाल के रिश्ते सभी से बिगड़ते हुए देखकर उसने इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश की इसलिए उसने एक योजना बनाई और बर्फ को जमाया घर में और सुबह उठते ही वह मदनलाल के कमरे में गई और उसने बातचीत के दौरान मदनलाल की छाती पर बर्फ घोप दिया। अब इस जगह अगर सोमनाथ होता जो बर्फ बनाने की फैक्ट्री में काम करता है वो बर्फ को सीने में अंदर तक घुसा देता लेकिन यंहा क़ातिल की बचकानी हरकत नजर आती है सौम्या के हाँथ से बर्फ फिसलने लगी जिसके कारण वह अंदर तक बर्फ के टुकड़े को नही घुसा पाई। लेकिन मदनलाल चिलाये नही। उन्हें सौम्या के साथ बिताए पल याद आ गए और उनकी पलके सामान्य मात्रा में खुली रही जब सौम्या वंहा से भागकर अपने कमरे में आ गई।
क्या बकवास कर रहे है आप आपके पास इस बात को साबित करने का कोई सबूत है? सौम्या ने चिल्लाते हुए कहा।
जी बिल्कुल तुम सभी के अनुसार जब खून हुआ तब तुम सब सो रहे थे लेकिन फिर आपके हाँथ इतने ठंडे क्यो है? मिस सौम्या मिश्रा। आपके हाँथ तो गर्म होने चाहिए थे। दरअसल जब मैने सभी घरवालों से हाँथ मिलाया तब मुझे महसूस हुआ कि तुम्हारे हाँथ ठंडे है। करुण एक कुर्सी पर बैठते हुए बोला।
सभी लोग स्तब्ध से खड़े रहते है मानो उन्हें यकीन ही ना हो रहा हो।
लेकिन आपके पास कोई सबूत नही है कि खून मैने किया है और न्यायलय सबूत मांगता है मिस्टर! इतना कहकर सौम्या रुक जाती है।
करुण नायर ! डिटेक्टिव करुण नायर नाम है मेरा मिस सौम्या! करुण नायर चुपचाप सौम्या के सामने खड़ा हो जाता है।
आप जो भी हो आपके पास कोई सबूत नही है जो अपने बोला वह सिर्फ एक कहानी है। सौम्या ने हड़बड़ाते हुए कहा।
तभी करुण सौम्या के हाँथ इंसपेक्टर सिसोदिया के सामने कर देता है। सौम्या के दाएं हाँथ की दो उंगलियों के बीच खून लगा है। इसकी आप मेडिकल जांच कीजिये। आपको सबूत मिल जाएगा। करुण ने कहा।
तभी सौम्या एक दम से घबरा कर अपने हाँथ पीछे कर लेती है।
मान लो सौम्या खून तुमने ही किया है तुम खुद सोचो तुमने उसका खून किया है जो तुम्हे सबसे ज्यादा चाहते थे।
इतना सुनते ही सौम्या रोने लगती है। और खून करने की बात स्वीकार कर लेती है।
सभी घर वाले उदास होकर वंही बैठ जाते है। पुलिस सौम्या को गिरफ्तार करके ले जाती है और करुण भी सुजान के साथ कमरे के बाहर आ जाता है। तभी पीछे से इंस्पेक्टर सिसोदिया आते है।
धन्यवाद करुण बाबू!
अरे इसमें धन्यवाद कैसा! करुण ने एक भिनिमुस्कराहत के साथ कहा।
आप सच मे एक चमत्कारी व्यक्ति है आप तार्किक विज्ञान के सबसे बड़े ज्ञाता है
धन्यवाद अगर आपको ऐसा लगता है। करुण इतना कहकर सुजान के साथ चला जाता है।


अगले दिन....

चारो तरफ हवाये चल रही है। और पेड़ो पर पक्षियों का कोलाहल मचा हुआ है। चारो तरफ गाड़ियों का शोर है और रॉ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के दफ्तर में चारो तरफ हड़बड़ी का माहौल है। मानो देश के ऊपर किसी अन्य देश ने आक्रमण कर दिया हो। कुछ लोग कंप्यूटर पर कार्य करने में व्यस्त थे तो कुछ लोग फ़ाइल को उलट पलट रहे थे। तभी
रॉ के सचिव राजीव त्रिपाठी एक फ़ाइल लिए एक बैठक वाले कमरे में प्रवेश करते है जंहा पहले ही कई अन्य खुफिया एजेंसियों के सचिव बैठे हुए थे जैसे एविएशन रिसर्च सेंटर जैसी खुफिया विभाग के अध्यक्ष काओ भी वंहा बैठे हुए थे। राजीव त्रिपाठी जाकर एक कुर्सी पर बैठ जाते है। तभी कमरे में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का प्रवेश होता है। सभी लोग उनके लिए खड़े हो जाते है और वह सबको बैठने का इशारा करती है।
आप लोगो को तो पता ही होगा हम यंहा क्यो इकट्ठा हुए है। श्रीमती इंदिरा गांधी ने बैठते हुए कहा।
जी! भारत के 9 प्रसिद्ध हस्तियों का अपहरण दो दिन पहले हुए था और अभी तक इस बारे में हमे कोई जानकारी नही मिली थी लेकिन आज सुबह प्रसिद्ध समाजशास्त्री ऋचा चड्ढा की लाश मध्यप्रदेश के सांची गांव में जो रायसेन जिले में पड़ता है वंहा मिली लेकिन सबसे रहस्य वाली बात यह है कि लाश उड़ते हुए मिली है। राजीव त्रिपाठी ने फ़ाइल को खोलते हुए कहा।
क्या! सभी लोग एक दम से चोंक जाते है
क्या अर्थ है आपका उड़ते हुए से? श्रीमती इंदिरा गांधी ने चोंकते हुए कहा।
इसका अर्थ यही है कि ऋचा चड्ढा की लाश हवा में उड़ते हुए मिली वो भी बिना किसी सहारे के ना लाश किसी चीज़ से बंधी हुई और ना ही किसी पर लटकी हुई है। लाश पूरी तरह से बिना किसी सहारे से हवा में है। और मुख्यतः सोचने वाली वाली बात यह है कि उस लाश के आसपास नो स्तम्भ रखे गए है जिनपर अशोक के चिन्ह मिलते है लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि यह स्तम्भ हाल ही में बने है जिसके कारण इतिहासकार अचम्भे में है कि अशोक के काल की स्तम्भ नकल कोई कैसे कर सकता है इस सदी में। फिलहाल समझ नही आता ये किसका काम है? राजीव त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए कहा।
लेकिन यह कैसे हो सकता है कि एक लाश हवा में उड़ रह हो? श्रीमती इंदिरा गांधी एक आश्चर्यजनक मुद्रा में कहती है।
नही पता मैडम! राजीव त्रिपाठी ने कहा
क्या यह किसी आंतकवादी संगठन का काम है? काओ ने पूछा।
नही लगता तो नही है। अशोक के स्तम्भो की नकल किसी आंतकवादी संगठन का करना हजम नही होता। देखने से लगता है किसी अन्य देश की खुफिया एजेंसी का काम है।
मुझे अब इस बारे में कुछ नही पता बस उनलोगों को बचाओ वो हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है जिसमे वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, मीडिया रिपोर्टर जैसे महान कार्यो से जुड़े महान लोग है उन्हें कुछ नही होना चाहिए चांहे जो करना है वो करो! इंदिरा गांधी ने गुस्से में कहा
इसके लिए हमे अपने बेहतर जासूस काम पर लगाने होंगे! राजीव त्रिपाठी ने फ़ाइल को मेज पर रखते हुए कहा।
तो लगाओ! जो भी मदद इसमें चाहिए वो मिलयेगी। इंदिरा गांधी ने कहा।
कोई फायदा नही है ऐसे केस को सिर्फ एक ही इंसान सुलझा सकता है। आर एन काओ ने कहा।
सभी लोग एकदम से काओ की तरफ देखने लगते है और श्रीमती इंदिरा गांधी के साथ सभी एक साथ पूछते है वो कौन है?
डिटेक्टिव करुण नायर! काओ ने खड़े होते हुए बोला।


To be continuous.....

Wrote by 
Author Pawan Singh Sikarwar
copyright reserved 

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